लखनऊ के इंदिरानगर क्षेत्र, मैथिलीशरण गुप्त वार्ड में भले ही पूर्व पार्षद दिलीप श्रीवास्तव को भाजपा की ओर से नगर निगम चुनाव का टिकट नहीं मिल पाया, लेकिन स्थानीय जनता का उनके प्रति विश्वास और समर्थन इतना अधिक है कि निर्दलीय चुनावों में खड़े होने पर भी दिलीप जी का जनाधार निरंतर बढ़ रहा है। "उगते सूरज" के चुनाव चिन्ह के साथ पार्षदीय चुनावों में उतरे दिलीप श्रीवास्तव को जनसम्पर्क अभियान में स्थानीय निवासियों का बेहतरीन रिस्पॉन्स मिल रहा है।
जन जन में लोक प्रिय जनसेवक दिलीप श्रीवास्तव को क्षेत्र की जनता कितना चाहती है, यह साफ़ है। इसकी वजह भी है कि सैकड़ों गरीबों को उन्होंने रोज़गार दिया है, काम करने के अवसर प्रदान किये हैं, रोज़गार हेतु सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया है और कोरोना काल में उन्होंने जो जनसेवा की है, वह तो क्षेत्रीय जनता के सामने मिसाल है। तो क्यों न यहाँ की जनता अपने प्रिय नेता को सर माथे पर रखे। स्थानीय जनता का भरोसा है कि अपने पांच वर्षीय कार्यकाल में जनसेवक दिलीप श्रीवास्तव जी ने जो जनसेवा की है, वही उनकी भारी जीत का सबसे बड़ा कारण रहेगा।
वहीं दिलीप श्रीवास्तव जी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अपनी पालिटिकल डायरी- 151, 11 दिसंबर 1951 के अंतर्गत कहा था कि कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है, दल के हाईकमान ने एक ऐसे व्यक्ति को टिकट लेते समय पक्षपात किया होगा। अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता का कर्तव्य है। यही बात मैथिलीशरण गुप्त वार्ड के लिए भी लागू होती है।