लखनऊ नगर निगम के अंतर्गत सफाई व्यवस्था के नाम पर धांधली जारी है। सफाईकर्मियों की फौज मात्र फाईलों तक सीमित रह गई है, वास्तव में जगह जगह कूड़े का ढेर फैला हुआ है। इसी भ्रष्ट व्यवस्था की पोल खोलने के लिए लखनऊ नगर निगम से महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया एवं क्षेत्रीय पार्षदों ने औचक निरीक्षण किया और पाया कि भ्रष्ट तंत्र के खेल के अंतर्गत सफाई व्यवस्था के नाम पर अधिकारियों की मनमर्जी जारी है।
लखनऊ के मैथिलीशरण गुप्त वार्ड से पार्षद दिलीप श्रीवास्तव भी इस निरीक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बने, उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नगर निगम लखनऊ में 88 गॉव शामिल किए गए हैं। दौरे के अंतर्गत पता चला कि एक अधिकारी ने अपने कमरे में सफाई के नाम पर सफाई एजेंसियों की बोली लगवाई थी। सफाई एजेंसियों के सफाईकर्मियों की फौज केवल कागजों में शामिल है, बाकी जगह जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है। स्थानीय निवासियों से पूछने पर पता चला कि सफाईकर्मी सफाई के लिए आते ही नहीं हैं।
मालूम हो कि नगर निगम लखनऊ में सफाई ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हो रही है। सफाई कर्मचारियों की तैनाती के नाम पर ठेकेदार कई करोड़ रुपये नगर निगम से ले रहे हैं। इस बार सफाई ठेकेदारों के लिए बजट 140 करोड़ रखा गया है, लेकिन हकीकत में यह बजट अधिकारियों की जेब गर्म कर रहा है।