नए आपराधिक कानूनों में फॉरेंसिक साइंस की भूमिका को लेकर आयोजित इस संगोष्ठी में न्याय व्यवस्था को अधिक सुदृढ़, वैज्ञानिक एवं पारदर्शी बनाने पर विस्तृत चर्चा की गई। संगोष्ठी के दौरान विधि विशेषज्ञों, अधिवक्ताओं एवं विषय विशेषज्ञों ने फॉरेंसिक विज्ञान के महत्व और उसकी बढ़ती आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए। यह आयोजन कानून एवं विज्ञान के समन्वय को समझने का एक महत्वपूर्ण मंच रहा।
संगोष्ठी में यह स्पष्ट किया गया कि आधुनिक आपराधिक जांच में फॉरेंसिक साइंस साक्ष्यों की विश्वसनीयता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। डीएनए परीक्षण, डिजिटल फॉरेंसिक, फिंगरप्रिंट एवं वैज्ञानिक साक्ष्यों के माध्यम से अपराधों की निष्पक्ष जांच संभव हो रही है। नए आपराधिक कानूनों में इन वैज्ञानिक तकनीकों को प्राथमिकता देने से न्यायिक प्रक्रिया अधिक प्रभावी और त्वरित होगी।
इस अवसर पर वक्ताओं ने अधिवक्ताओं एवं जांच एजेंसियों के लिए फॉरेंसिक ज्ञान को आवश्यक बताते हुए प्रशिक्षण एवं जागरूकता पर भी बल दिया। संगोष्ठी का उद्देश्य न्याय प्रणाली को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना तथा आम जनता को समयबद्ध एवं निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना रहा। प्रतिभागियों ने इस तरह के आयोजनों को भविष्य में भी निरंतर आयोजित करने की आवश्यकता व्यक्त की।